Monday, August 24, 2020

what is islam

 Motivate for islaam  

                                                              ( Present by Sartaj )


फ़िक़ही पहेलियां क़स्त 51


मुतफ़र्रिक़ाते नमाज़ की पहेलियां 2


4️⃣ सवाल----- सुन्नत नमाज़ पढ़ना जाइज़ नहीं, उसकी सूरत क्या है,


4️⃣ जवाब----- जबके जानता हो के सुन्नत पढ़ने से फ़र्ज़ नमाज़ क़ज़ा हो जाएगी तो इस सूरत में सुन्नत पढ़ना जाइज़ नहीं,


📚 शरहे वक़ायह जिल्द 1 सफ़ह 181)


5️⃣ सवाल----- क़अदा ए आखीरा के अलावा नमाज़ में कब दुरूद शरीफ़ पढ़ना मुस्तहब है,


5️⃣ जवाब----- क़अदा ए आखीरा के अलावा नमाज़ में दुआ ए कुनूत के बाद दुरूद शरीफ़ पढ़ना मुस्तहब है,


📗 रद्दुल मोहतार जिल्द 1 सफ़ह 348)


6️⃣ सवाल----- क़अदा ए आखीरा के अलावा नमाज़ में कब दुरूद शरीफ़ पढ़ना सुन्नत है,


6️⃣ जवाब----- क़अदा ए आखीरा के अलावा नमाज़े जनाज़ा में भी दूसरी तकबीर के बाद दुरूद शरीफ़ पढ़ना सुन्नत है,


📔 फ़तावा आलमगीरी, वग़ैरह)


7️⃣ सवाल----- किस सूरत में नंगे सर नमाज़ पढ़ना वाजिब है,


7️⃣ जवाब----- मर्द को हालते एहराम में नंगे सर नमाज़ पढ़ना वाजिब है,


📘 कुतुबे आम्मह)


8️⃣ सवाल----- किस सूरत में नंगे सर नमाज़ पढ़ना मुस्तहब है,


8️⃣ जवाब----- खुशूअ् व खुज़ूअ् की नियत से नंगे सर नमाज़ पढ़ना मुस्तहब है,


📗 बहारे शरिअत हिस्सा 3, सफ़ह 167)


9️⃣ सवाल----- किस सूरत में नंगे सर नमाज़ पढ़ना कुफ़्र है,


9️⃣ जवाब----- जबके नमाज़ की तहकीर मक़सूद हो मसलन नमाज़ कोई ऐसी मोहतिम बिश्शान (यानी कोई शान) की चीज़ नहीं के जिसके लिए टोपी पहनी जाए तो इस नियत से नंगे सर नमाज़ पढ़ना कुफ़्र है,


📚 दुर्रे मुख़्तार, रद्दुल मोहतार जिल्द 1 सफ़ह 421)

📗 बहारे शरिअत हिस्सा 3 सफ़ह 167)


🔟 सवाल----- ज़ौहर और मग़रिब की फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ने के बाद कब नफ़्ल व सुन्नत पढ़ना मकरूह है,


🔟 जवाब----- अरफात में जबके ज़ौहर व असर और मुज़दल्फ़ा में मग़रिब व इशा की नमाज़ मिला कर पढ़ते हैं इस सूरत में ज़ौहर और मग़रिब की फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ने के बाद नफ़्ल व सुन्नत पढ़ना मकरूह है,


📚 बहारे शरिअत हिस्सा 3 सफ़ह 23)

📘 बहरुर्राइक़ जिल्द 1 सफ़ह 253)

📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 157---158) 


Next........


🌹 तालिबे दुआ 🤲👇


हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुल्फ़ुक़ार ख़ान नईमी साहब क़िब्ला व हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम रज़ा नईमी साहब क़िब्ला और ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी इंडिया,

🌹📓📔📕📙📗📘📚🌹

Sunday, August 16, 2020

Islamic status *मुफ़सिदाते नमाज़ की पहेलियां

Written by molana Qsim Raza {Post By Sartaj}


*मुफ़सिदाते नमाज़ की पहेलियां 8*



3️⃣0️⃣ सवाल----- वह कौनसी बा जमाअत नमाज़ है के औरत उसमें मर्द के मुहाज़ी हो जाए तो मर्द की नमाज़ फ़ासिद नहीं होगी अगरचे इमाम ने उसकी इमामत की नियत की हो,


3️⃣0️⃣ जवाब----- वह नमाज़े जनाज़ा है के जिसमें औरत मर्द के मुहाज़ी हो जाए तो मर्द की नमाज़ फ़ासिद नहीं होगी अगरचे इमाम ने उसकी इमामत की नियत की हो,


📚 बहारे शरिअत हिस्सा 4, सफ़ह 156)

📚 फ़तावा आलमगीरी जिल्द 1 मिसरी सफ़ह 153)


3️⃣1️⃣ सवाल----- वह कौनसा मुक़तदी है के जिसकी इक़तदा के सबब इमाम और मुक़तदी दोनों की नमाज़ फ़ासिद हो जाएगी,


3️⃣1️⃣ जवाब----- क़ारी यानी जो

مايجوذبه الصلاة قراءت،

करता है

(यानी जो नमाज़ में इतना क़ुरआन सही पढ़ लेता है जिससे नमाज़ दुरुस्त हो जाए)

अगर वह इक़तदा करे उम्मी की जो

مايجوذبه الصلاة قراءت،

नहीं करता

(यानी जो नमाज़ में इतना क़ुरआन सही नहीं पढ़ता जिससे नमाज़ दुरुस्त हो जाए)

तो ऐसे मुक़तदी की इक़तदा के सबब इमाम और मुक़्तदी दोनों की नमाज़ फ़ासिद हो जाएगी,


📚 अल अशबाह वन्नज़ाइर सफ़ह 168)


3️⃣2️⃣ सवाल----- एक शख़्स वुज़ू, मुकम्मल ग़ुसल और कपड़े वग़ैरह की तहारत के साथ नमाज़ पढ़ रहा था मगर उसने पानी देखा तो नमाज़ फ़ासिद हो गई, उसकी सूरत क्या है,


3️⃣2️⃣ जवाब----- वह शख़्स तयम्मुम करने वाले इमाम की इक़तदा में नमाज़ पढ़ रहा था, इस सूरत में जब उसने पानी देखा तो उसकी नमाज़ फ़ासिद हो गई,


📚 अल अशबाह वन्नज़ाइर सफ़ह 395)


3️⃣3️⃣ सवाल----- क़ुरआन की आयते करीमा पढ़ी मगर किसी के जवाब में या ग़लत लुक़्मा देने के लिए नहीं पढ़ी, उसके बावुज़ूद नमाज़ फ़ासिद हो गई, उसकी सूरत क्या है,


3️⃣3️⃣ जवाब----- नमाज़ में ऐसा हद्स लाहिक़ हुआ (हद्स उसको कहते हैं जिसके सबब हालते नमाज़ में वुज़ू या ग़ुसल वाजिब हो जाए मसलन रीह या पेशाब या मनी के क़तरे आ जाएं) जिससे बिना कर सकता था (यानी किसी से बात या कोई काम किए बगैर वुज़ू या ग़ुसल करके नमाज़ में शामिल हो सकता था) मगर मस्जिद निकलते हुए उसने क़ुरआन की तिलावत की, तो इस सूरत में अगरचे उसने किसी के जवाब में या ग़लत लुक़्मा देने के लिए आयते करीमा नहीं पढ़ी मगर उसके बावुज़ूद नमाज़ फ़ासिद हो गई अब बिना नहीं कर सकता,


📚 अल अशबाह वन्नज़ाइर सफ़ह 394)

📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 127--128)

इससे पहले की पोस्ट में अजाइबुल फ़िक़ह का सफ़ह नंबर 26--27---ग़लती से टाइप हो गया जबके  126--127-- है,,,


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*🌹 तालिबे दुआ 🤲👇*


हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुल्फ़ुक़ार ख़ान नईमी साहब क़िब्ला व हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम रज़ा नईमी साहब क़िब्ला और ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी इंडिया,


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Saryat- e - islam


Farmane- E -islam 👍👍👍👍



*क़ुर्बानी के जानवर का बयान 02*


(7) मसअला👇


जिसके दांत ना हों या जिसके थन कटे हों या खुश्क हों उसकी कुर्बानी नाजाइज़ है बकरी में एक का खुश्क़ होना नाजाइज होने के लिए काफ़ी है और गाय भैंस में दो खुश्क हों तो नाजाइज़ है, जिसकी नाक कटी हो या इलाज के ज़रिए उसका दूध खुश्क कर दिया हो और खन्सा जानवर यानी जिस में नर और मादा दोनों की अलामतें हो और जल्लाला जो सिर्फ़ ग़लीज (गन्दगी) खाता हो इन सब की कुर्बानी नाजाइज़ है

📚दुर्रे मुख्तार,

📚बहारे शरीअत हिस्सा 15 सफा 141,


(8) मसअला👇


भेड़ या दुम्बा की ऊन (बाल) काट ली गई हो उसकी क़ुर्बानी जाइज़ है और जिस जानवर का एक पांव काट लिया गया हो उसकी कुर्बानी नाजाइज़ है,

📚 आलमगीरी,


(9) मसअला👇


जानवर को जिस वक़्त खरीदा था उस वक़्त उसमें ऐसा ऐब ना था जिसकी वजह से कुर्बानी नाजाइज़ होती है बाद में वह ऐब पैदा हो गया तो अगर वो शख्स मालिके निसाब है तो दूसरे जानवर की कुर्बानी करे और मालिके निसाब नहीं है तो उसी की कुर्बानी करले ये उस वक़्त है के उस फ़कीर ने पहले से अपने जिम्मा कुर्बानी वाजिब ना की हो और अगर उसने मन्नत मानी है के बकरी की कुर्बानी करूंगा और मन्नत पूरी करने के लिए बकरी खरीदी उस वक़्त बकरी में ऐसा ऐब ना था फिर पैदा हो गया इस सूरत में फकीर के लिए भी यही हुक्म है के दूसरे जानवर की कुर्बानी करे,

📚हिदायह,

📚रद्दुल मोहतार,


(10) मसअला👇


फ़कीर ने जिस वक़्त जानवर खरीदा था उसी वक़्त उसमें ऐसा ऐब था जिससे कुर्बानी नाजाइज़ होती है और वो ऐब कुर्बानी के वक़्त तक बाक़ी रहा तो उसकी कुर्बानी कर सकता है और गनी ऐबदार खरीदे और ऐब दार ही की कुर्बानी करे तो नाजाइज़ है और अगर ऐबी जानवर को खरीदा था और बाद में उसका ऐब जाता रहा तो गनी और फ़क़ीर दोनों के लिए उसकी कुर्बानी जाइज़ है मसलन ऐसा लागर (कमज़ोर) जानवर खरीदा जिस की कुर्बानी नाजाइज़ है और उसके यहां वो फरबा (मोटा) हो गया तो गनी भी उसकी कुर्बानी कर सकता है

📚दुर्रे मुख्तार,

📚रद्दुल मोहतार,


(11) मसअला👇


कुर्बानी करते वक़्त जानवर उछला कूदा जिसकी वजह से  ऐब पैदा हो गया ये ऐब मुज़िर नहीं यानी कुर्बानी हो जाएगी और अगर उछलने कूदने से ऐब पैदा हो गया और वो छूट कर भाग गया और फौरन पकड़ लाया गया और ज़िबह कर दिया गया जब भी कुर्बानी हो जाएगी,

📚दुर्रे मुख्तार,

📚रद्दुल मोहतार,


(12) मसअला👇


कुर्बानी का जानवर मर गया तो ग़नी पर लाज़िम है के दूसरे जानवर की कुर्बानी करे और फ़क़ीर के ज़िम्मा दूसरा जानवर वाजिब नहीं और अगर कुर्बानी का जानवर गुम हो गया या चोरी हो गया और उसकी जगह दूसरा जानवर खरीद लिया अब वो मिल गया तो गनी को इख़्तियार है के दोनों में जिस एक को चाहे कुर्बानी करे और फ़कीर पर वाजिब है के दोनों की कुर्बानियां करे

📚दुर्रे मुख्तार,


मगर गनी ने अगर पहले जानवर की कुर्बानी की तो अगरचे उसकी कीमत दूसरे से कम हो कोई हर्ज नहीं और अगर दूसरे की कुर्बानी की और उसकी कीमत पहले से कम है तो जितनी कमी है उतनी रकम सदका करे हां अगर पहले को भी कुर्बान कर दिया तो अब वो तसद्दुक़ (यानी सदक़ा करना) वाजिब ना रहा,

📚रद्दुल मोहतार,

📚बहारे शरीअत हिस्सा 15 सफाई 142)


*फ़क़ीर से मुराद वो शख्स है जो मालिके निसाब ना हो, और ग़नी से मुराद वो शख्स है जो मालिके निसाब हो*


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*🌹 तालिबे दुआ 🤲👇*


हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुल्फ़ुक़ार ख़ान नईमी साहब क़िब्ला व हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम रज़ा नईमी साहब क़िब्ला और ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी इंडिया,




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Saturday, August 15, 2020

Islamic point

 Islamic post



*तम्हीदे ईमान क़िस्त 38*


तुम्हारा रब अज्ज़ा जल्ल फ़रमाता है👇


قل هاتو برهانكم إن كنتم صاديقين،


तर्जमाः---- लाओ अपनी बुरहान (दलीत) अगर सच्चे हो।" 


📗 पारा 20, रुकू 1, सूरह नहल)


इससे ज़्यादा की हमें हाजत (ज़रूरत) न थी मगर बा फ़ज़लिही तआला हम उनकी (यानी वहाबी देवबंदी अहले हदीस तब्लीग़ी नदवी क़ादयानी वगैरह की) कज़्ज़ाबी का

(झूटे होने का) वह रौशन सुबूत दें कि हर मुसलमान पर उनका मुफ़्तरी (झूटा) होना आफताब से ज़्यादा ज़ाहिर हो जाए।


सुबूत भी बिहम्दिल्लाही तआला तहरीरी वह भी छपा हुआ वह भी न आज का बल्कि सालहा साल का, जिन-जिन की तकफ़ीर (कुफ्र लगाना) का इत्तेहाम (तोहमत) उलमा ए अहले सुन्नत पर रखा उनमें सब से ज़्यादा गुन्जाइश अगर उन साहिबों को मिलती


तो इस्माईल देहलवी में कि बेशक उलमाए-अहले सुन्नत ने उसके कलाम में ब-कसरत कलिमाते कुफ्रिया साबित किए और शाएअ् फ़रमाए। बायं हमा (इन तमाम के बावजूद)

अव्वलन---सुबहानस्सुब्बूह अन ऐबी कज्ज़ाबी मकबूह, 1307 हिजरी, देखिए कि बारे अव्वल 1309, हिजरी में लखनऊ मतबअ् अनवारे मुहम्मदी (कुतुब खाना) में छपा जिसमें ब दलाइले काहिरा देहलवी मज़कूर और


उसके अतबा पर पचहत्तर (75) वजह से लजूमे कुफ्र साबित करके सफ़ह 90 पर हुक्मे आख़िर यही लिखा कि उलमाए मोहतातीन (एहतियात करने वाले आलिम) इन्हें काफिर न कहें यही सवाब है। 

यानी यही जवाब है

और इसी पर फतवा हुआ और इसी पर फतवा है और यही हमारा मज़हब और इसी पर ऐतेमाद और इसी में सलामत और इसी में इस्तेकामत (यानी काएम रहना)


सानियन--- अल कौकबतहुश्शहाबियह फ़ी कुफ़्रियाती इब्नुल वहाबियह,

(यह किताब का नाम है जो 1312, हिजरी में छपी)


देखिये जो ख़ास इसमाईल देहलवी और उसके मुत्तबेईन (पैरवी करने वाले) ही के रद्द में तसनीफ हुआ (लिखा गया) और बारे अव्वल (यानी पहली बार) शाबान 1316 हिजरी में अज़ीमाबाद में मतबअ् (कुतुब खाना) तोहफा ए हनफियह में छपा, जिसमें नसूसे जलीला कुरआन मजीद व अहादीसे सहीहा व तसरीहाते आइम्मा से ब-हवाला सफ़हात कुतुबे मोअतमिदा (यानी जिस भरोसा किया जाए) उस पर सत्तर (70) वजह बल्कि ज़ाइद से लज़ूम कुफ्र साबित किया,


और बिल आख़िर यही लिखा (सफ़ह 62) हमारे नज़दीक मकामे एहतियात में इकरार (यानी काफिर कहने से) कफ्फे लिसान (यानी जुबान रोकना) माखूज़ व मुख्तार व मुनासिब। वल्लाह सुबहानहु व तआला आलम।


सालिसन---- सल्लुस्सुयूफिल हिन्दीया अला कुफ़्रियाते बाबुल नजदियह, 1312, हिजरी,

देखिए कि सफ़र 1316 हिजरी को अज़ीमाबाद में छपा। इसमें भी इस्माईल देहलवी और उसके मुत्तबेईन पर बवुजूहे काहेरह (मजबूत दलाइल से) लज़ूम (कुफ्र के लाज़िम होने का सबूत) देकर सफ़ह 21----22 पर लिखा यह हुक्म फिक़ही मुतअल्लिक ब कलिमाते सफ़ही (बेहूदा बातें) था


मगर अल्लाह तआला की बेशुमार रहमतें बेहद बरकतें हमारे उलमा ए किराम पर कि यह कुछ देखते उस ताएफा (गिरोह) के पीर से बात बात पर सच्चे मुसलमानों की निसबत हुक्मे कुफ्र व शिर्क सुनते हैं। बायं हमा (इसके बावजूद)



कि लज़ूम (लाज़िम होना) व इलतेज़ाम (लाज़िम कर लेना) में फ़र्क़ है। अक़वाल (कौल यानी जो कहा की जमा) का कलिमाए कुफ्र होना और बात और काइल (कहने वाला) को काफिर मान लेना और बात


। हम एहतियात बरतेंगे, सुकूत करेंगे, जब तक ज़ईफ़ सा ज़ईफ़ एहतिमाल मिलेगा, हुक्मे कुफ्र जारी करते डरेंगे। मुख़्तसरन।


Next........


*🌹 तालिबे दुआ 🤲👇*


हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुल्फ़ुक़ार ख़ान नईमी साहब क़िब्ला व हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम रज़ा नईमी साहब क़िब्ला और ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी इंडिया,


*📗 4.अल नूरी मैसेज 📘*


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Friday, August 14, 2020

HAPPY INDEPENDENCE DAY

 HAPPY independence DAY



 . ☺दिल हमारे एक हैं एक ही है हमारी जान

 ☺☺दिल हमारे एक हैं एक ही है हमारी जान, हिंदुस्तान हमारा है हम हैं

☺ इसकी शान, जान लुटा देंगे वतन पे हो जायेंगे कुर्बान, इसलिए हम कहते हैं

❤❤❤👂मेरा भारत महान। सभी देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।!






HAPPY INDEPENDENCE DAY 





Wednesday, August 12, 2020

MOTIVATION FOR success

 MOTIVATIONAL POINT FOR success






Motivation Point

 Motivation point


        ❤❤      जो आसानी से मिल जाता है वो हमेशा तक नहीं रहता, जOहमेशा ☺☺तक रहता है वो आसानी से नहीं मिलता।

 

  1️⃣4️⃣ सवाल----- किस सूरत में मुर्दा को क़ब्र से निकालना जाइज़ है, 1️⃣4️⃣ जवाब----- जबके दूसरे की ज़मीन में बग़ैर इजाज़त मुर्दा दफ़न कर दि...