Sunday, September 6, 2020

❤❤❤❤islamic status ❤❤ present by sartaj

❤❤इबादत और जदीद साइंस क़िस्त 37 वुज़ू और जदीद साइंस. 5 चहरे की क्रीमें और वुज़ू आज कल लोग चहरे की खाल को मुलायम और ख़ूबसूरत रखने के लिए बहुत सी क्रीमें इस्तेमाल करते हैं लेकिन जो जवान है





वो क्रीम ना भी लगाए तो अच्छा ही लगता है अगर आपकी क्रीम

 खाल को अच्छा करती है तो आप बढ़िया से बढ़िया क्रीम लाएं और

 90 साला बूढ़े को लगाएं तो यह क्रीम उस बूढ़े के चहरे का कुछ नही

 कर सकेगी क्योंकि उस बूढ़े का चहरा झुर्रियों के ज़द में आ चुका है

 और उन झुर्रियों का इलाज वुज़ू के पास है







जिसके अन्दर static electricity का एक तवाज़ुन मोजूद होता है 

और एक सेहत मन्द जिस्म की fhysiology का इस बर्क़ी तवाज़ुन

 से गहरा रिश्ता है फिज़ाई हालात इस तवाज़ुन को बुरी तरह

 मुतअस्सिर करते हैं नतीजतन आदमी कई क़्सम की

 नफ़सियाती बीमारियों का शिकार हो जाता है खाल के मर्ज़ चहरे

 पर झुर्रियाँ आ जाना static electricity के अदमे तवाज़ुन की वजह से है








यह आजकल acupuncture के ज़रिए से इसके तवाज़ुन को ठीक 

करते हैं बिजली और पानी मिल कर किया करते हैं यह बताने की

 ज़रूरत नहीं है यही वजह है रसूल ए पाक ने फ़रमाया वुज़ू तमाम

 ख़ताओं को धोकर दूर कर देता है जिस्म पर पानी पड़ते ही वो 

static electricity पूरे जिस्म में दोड़ जाती है









खाल की बीमारी और चहरे की झुर्रियाँ दूर करने में वुज़ू का बड़ा हाथ है

 खाल के नीचे नज़दीक तरीन छोटे छोटे पठ्ठे काम करना छोड़ देते हैं और


 वक़्त से पहले ही झुर्रियाँ पड़ना शुरू हो जाती हैं इन wrinkles का आगाज़ चहरे से ही होता है अब आप समझ गए होंगे कि नमाज़ियों के चहरे क्यों 

चमकदार होते हैं ? यह सब वुज़ू का कमाल है










वुज़ू का माना ही पाकीज़गी और ख़ूबसूरती है हमारे यहाँ

 करोड़ों रुपये कासमेटिकस पर ख़र्च किया जाता है फिर 

फायदा सिफर, याद रखिये दस गुना ज़्यादा ख़र्च भी वुज़ू

 की बरकात का मुक़ाबला नहीं कर सकता अमेरीकन

 कोंसल की मेम्बर लेडी बेचर ने अजीब व ग़रीब

 इनकिशाफ़ किया है कि मुसलमानों को किसी क़िस्म के कीमयावी लोशन की ज़रूरत नहीं है





इनके इस्लामी वुज़ू से चहरा साफ़ हो जाता है और कई मर्ज़ों से बच जाता 

है मेडिकल के उसूल के मुताबिक़ वुज़ू में चहरा धोने से भोंएं पानी से तर

 हो जाती हैं और अगर भोंओं में नमी रहे तो आंखों की एक ऐसी ख़तरनाक

 बीमारी से इंसान बच जाता है जिसमें आंख के अन्दर ( रतूबते ज़ुजाजिया

 ) कम या ख़तम हो जाती है और मरीज़ आहिस्ता आहिस्ता आंखों की

 रोशनी से महरूम हो जाता है..... 📘इबादत और जदीद साइंस सफ़ह 64)

 Next........


🌹 तालिबे दुआ 🤲👇 हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुल्फ़ुक़ार ख़ान

 नईमी साहब क़िब्ला व हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम रज़ा नईमी साहब क़िब्ला और ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी इंडिया,

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