Thursday, September 10, 2020

 


1️⃣4️⃣ सवाल----- किस सूरत में मुर्दा को क़ब्र से निकालना जाइज़ है,


1️⃣4️⃣ जवाब----- जबके दूसरे की ज़मीन में बग़ैर इजाज़त मुर्दा दफ़न कर दिया गया हो तो इस सूरत में ज़मीन के मालिक को क़ब्र से मुर्दा निकालना जाइज़ है,


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📚 दुर्रे मुख़्तार मअ् शामी जिल्द 1 सफ़ह 602)


लेकिन अगर ज़मीन का मालिक अपने मुर्दा भाई के साथ एहसान करेगा तो ख़ुदा ए तआला उसके साथ एहसान फ़रमाएगा,

تد ين تدان،،


📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 170)


1️⃣5️⃣ सवाल----- किस सूरत में मुर्दा का पेट फाड़ना जाइज़ है,


1️⃣5️⃣ जवाब----- जबके औरत मर गई और बच्चा उसके पेट में हरकत कर रहा है तो इस सूरत में बच्चा को निकालने के लिए मुर्दा औरत का पेट फाड़ना जाइज़ है


📚 दुर्रे मुख़्तार मअ् शामी जिल्द 1 सफ़ह 602)


1️⃣6️⃣ सवाल----- उम्मत में वह कौन लोग हैं जो सवाले नकीरैन और अज़ाबे क़ब्र से महफूज़ रहते हैं,


1️⃣6️⃣ जवाब----- शबे जुमा, रोज़े जुमा और माहे रमज़ान में जो मुसलमान मरेंगे वह सवाले नकीरैन और अज़ाबे क़ब्र से महफूज़ रहेंगे,


والله اكرم ان يعفو من شيء ثم يعود فيه،


यानी अल्लाह उससे ज़्यादा करीम है कि एक शय को मुआफ़ फ़रमाकर फिर उसपर मुवाख़िज़ा करे,


ऐसा ही फ़तावा रज़वियह जिल्द 4, सफ़ह 124 में है,,


1️⃣7️⃣ सवाल----- किस सूरत में नमाज़े जनाज़ा पढ़ने पर सवाब नहीं,


1️⃣7️⃣ जवाब----- जबके जमाअत की मस्जिद में नमाज़े जनाज़ा पढ़ी जाए तो इस सूरत में नमाज़े जनाज़ा पढ़ने पर सवाब नहीं,


जैसा के हिदायह जिल्द 1 सफ़ह 161 में है👇


لا يصلى على ميت فى مسجد جماعة لقوله عليه السلام من صلى على جنازة فى المسجد فلا اجر له،


यानी जमाअत की मस्जिद में नमाज़े जनाज़ा न पढ़ी जाए इसलिए कि हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया है कि

जो शख़्स मस्जिद में नमाज़े जनाज़ा पढ़े उसके लिए कोई सवाब नहीं,


और बहरुर्राइक़ जिल्द 2 सफ़ह 176, में है👇,


मस्जिद में नमाज़े जनाज़ा न पढ़ी जाए इसलिए कि अबूदाऊद शरीफ़ की हदीस मरफ़ूअ् है कि


जिसने मस्जिद में नमाज़े जनाज़ा पढ़ी उसके लिए कोई सवाब नहीं, और एक रिवायत में है कि उनके लिए कुछ नहीं,


📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 169--170--171)


Next........


🌹 तालिबे दुआ 🤲👇


हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुल्फ़ुक़ार ख़ान नईमी साहब क़िब्ला व हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम रज़ा नईमी साहब क़िब्ला और ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी इंडिया,

topic.2........................................................7️⃣ सवाल----- नमाज़े जनाज़ा में सूरह ए फ़ातिहा पढ़ना जाइज़ है, उसकी सूरत क्या है,

7️⃣ जवाब----- नमाज़े जनाज़ा में हम्द व सना की नियत से सूरह ए फ़ातिहा पढ़ना जाइज़ है,
जैसा के उम्दातुर्रिआयह हाशियह शरहे वक़ायह मजीदी जिल्द 1, सफ़ह 207, में है
لو قراء الفاتحة بنية الثناء جازكذ افى الاشباه،

📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 168)

8️⃣ सवाल----- किस शख़्स को नमाज़े जनाज़ा पढ़ाने के लिए वली से इजाज़त लेना ज़रूरी नहीं,

8️⃣ जवाब----- मुहल्ला की मस्जिद का इमाम के जिसके पीछे मैय्यत नमाज़ पढ़ा करता था अगर वली से वह अफ़ज़ल हो तो उसे नमाज़े जनाज़ा पढ़ाने के लिए वली से इजाज़त लेना ज़रूरी नहीं जैसा के आलाहज़रत इमाम अहमद रज़ा बरेलवी रज़िअल्लाहू तआला अन्ह तहरीर फ़रमाते हैं,
امام الحى،
यानी मस्जिदे मुहल्ला का इमाम अगर मैय्यत उनके पीछे नमाज़ पढ़ा करता था और यह फ़ज़ले दीनी में वली से ज़ाइद हैं तो बे इज़्ने वली (नमाज़े जनाज़ा) पढ़ा सकते हैं,
📚 फ़तावा रज़वियह जिल्द 4, सफ़ह 58)

और जिन लोगों को विलायते आम्मह हासिल होती है जैसे सुल्ताने इस्लाम, उसका नायब या क़ाज़ी ए शरअ् वग़ैरह, इन लोगों को भी नमाज़े जनाज़ा पढ़ाने के लिए वली से इजाज़त लेने की ज़रूरत नहीं,

📚 दुर्रे मुख़्तार मअ् शामी जिल्द 1 सफ़ह 590)

9️⃣ सवाल----- जबके मुसलमान और काफ़िर मुर्दा को ना पहचान सकें तो उनको दफ़न कहां किया जाए,

9️⃣ जवाब----- अगर मुसलमान ज़्यादा हों तो उनको मुस्लिम क़ब्रिस्तान में दफ़न किया जाए और काफ़िर ज़्यादा हों तो काफिरों के क़ब्रिस्तान में गाड़ा जाए, और अगर बराबर हों तो ऐहतियातन दोनों के क़ब्रिस्तानों से अलग तीसरी जगह दफ़न किया जाए,

📚 फ़तावा आलमगीरी जिल्द 1 सफ़ह 149,
📘 दुर्रे मुख़्तार मअ् शामी जिल्द 1 सफ़ह 577)
📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 168--169)

 Next........

🌹 तालिबे दुआ 🤲👇

हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुल्फ़ुक़ार ख़ान नईमी साहब क़िब्ला व हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम रज़ा नईमी साहब क़िब्ला और ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी इंडिया,

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