Tuesday, September 8, 2020

❤️❤️❤️☞☞Namaz ❤️kya❤️ hai ☛☞☞ or use☛☞☞ padne ❤️❤️kya☛☞☞ hota hai❤️❤️❤️❤️

✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 फ़िक़ही पहेलियां क़िस्त 59

present by (sartaj)

❤️❤️❤️❤️जनाज़ा की पहेलियां 1


1️⃣ सवाल----- वह कौन-सा मुर्दा है कि ना उसे मर्द नहला सकता है और ना औरत,


1️⃣ जवाब----- ख़ुन्सा (यानी हिजड़ा) मुश्किल को ना मर्द नहला सकता है ना औरत बल्कि तयम्मुम कराया जाए,


📚 बहारे शरिअत हिस्सा 4, सफ़ह 135)



📚 फ़तावा आलमगीरी जिल्द 1 मिसरी, सफ़ह 150)


2️⃣ सवाल----- कहां पर नमाज़े जनाज़ा जाइज़ नहीं,❤️❤️❤️❤️


2️⃣ जवाब----- मस्जिद में नमाज़े जनाज़ा पढ़ना जाइज़ नहीं,❤️❤️❤️❤️

फ़तावा रज़वियह जिल्द 4 सफ़ह 57 में है कि,❤️❤️❤️❤️


नमाज़े जनाज़ा मस्जिद में रखकर उस पर नमाज़ मज़हबे हन्फी में मकरूहे तहरीमी है,


तनवीरुल अबसार में है,❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️



كر هت تحريما فى مسجد جماعة هى فيه اه،،


और हर मकरूहे तहरीमी ना जाइज़ व गुनाह है,❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️


जैसा कि रद्दुल मोहतार जिल्द 1 सफ़ह 306, में है

❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

صرح العلامة ابن نجيم فى رسالة المولفة فى بيان المعاصى بان كل مكروه تحريما من الصغاىر،


और गुनाहे सगीरा तकरार से गुनाहे कबीरा के हुक्म में हो जाता है,


जैसा कि रद्दुल मोहतार जिल्द 4 सफ़ह 377, में है,❤️


और गुनाहे कबीरा का मुर्तकिब फ़ासिक़ है,

❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 166)

❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

3️⃣ सवाल----- किन लोगों की नमाज़े जनाज़ा नहीं है,



3️⃣ जवाब----- 1,बाग़ी जो इमामे-बर हक़ पर ना हक़ ख़ुरूज करे और उसी बग़ावत में मारा जाए, 

2,डाकू जो के डाके में मारा गया ना उनको गुसल दिया जाए ना उनकी नमाज़े जनाज़ा पढ़ी जाए, 

3,जो लोग ना हक़ पासदारी से लड़ें बलके जो उनका 4,तमाशा देख रहे थे कि उसी हालत में पत्थर आकर लगा और मर गए तो उनकी भी नमाज़ नहीं, 

5,जिसने कई शख्स को गला घोट कर मार डाला हो,

6,शहर में रात को हथियार लेकर लूटमार करें वह भी डाकू हैं इस हालत में मारे जाएं तो उनकी भी नमाज़ ना पढ़ी जाए,

7,जिसने अपने मां-बाप को मार डाला उसकी भी नमाज़ नहीं, जो किसी का माल छीन रहा था और उसी हालत में मारा गया उसकी भी नमाज़ नहीं,


📚 बहारे शरिअत हिस्सा 4 सफ़ह 147,

📘 फ़तावा आलमगीरी,

📔 दुर्रे मुख़्तार,

📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 166)


Next........


🌹 तालिबे दुआ 🤲👇


हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुल्फ़ुक़ार ख़ान नईमी साहब क़िब्ला व हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम रज़ा नईमी साहब क़िब्ला और ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी इंडिया,

                                                                        




                                                                         👉   Topic 2 👈   





फ़िक़ही पहेलियां क़िस्त 52

मुतफ़र्रिक़ाते नमाज़ की पहेलियां 3

1️⃣1️⃣ सवाल----- किस सूरत में ज़ौहर की 2.रकअत सुन्नत को ज़ौहर की 4.रकअत सुन्नत से पहले पढ़ना अफ़ज़ल है,

1️⃣1️⃣ जवाब----- जबके ज़ौहर की 4.रकअत सुन्नत को फ़र्ज़ से पहले ना पढ़ सका हो तो इस सूरत में ज़ौहर की 2.रकअत सुन्नत को ज़ौहर की 4.रकअत सुन्नत से पहले पढ़ना अफ़ज़ल है,

📘 हाशिया शरहे वक़ायह जिल्द 1 सफ़ह 180)
📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 158)

1️⃣2️⃣ सवाल----- वह कौन-सी नमाज़ है कि उसे लोगों पर ज़ाहिर करना गुनाह है,

1️⃣2️⃣ जवाब----- क़ज़ा नमाज़ का लोगों पर ज़ाहिर करना गुनाह है इसलिए कि नमाज़ का तर्क करना (छोड़ना) गुनाह है और गुनाह का ज़ाहिर करना भी गुनाह है,


📔 रद्दुल मोहतार जिल्द 1 सफ़ह 495)

1️⃣3️⃣ सवाल----- इशा की नमाज़ पढ़कर के सोया फिर बेदार होने पर उसी नमाज़ का दोबारा पढ़ना फ़र्ज़ है उसकी सूरत क्या है,

1️⃣3️⃣ जवाब----- नाबालिग़ लड़का इशा की नमाज़ पढ़कर सोया और उसे रात में एहतेलाम (स्वप्नदोष, नाइट फॉल) हुआ तो बेदार होने पर (जागने पर) उसे इशा की नमाज़ दोबारा पढ़ना फ़र्ज़ है और अगर लड़की एहतेलाम से बालिग़ हुई तो उसके लिए भी यही हुक्म है,

📚 फ़तावा आलमगीरी जिल्द 1 मिसरी सफ़ह 113)

1️⃣4️⃣ सवाल----- किस हालत में तरावीह जमाअत से पढ़ने की इजाज़त नहीं,

1️⃣4️⃣ जवाब----- अगर सब लोग इशा की जमाअत तर्क कर दें (यानी छोड़ दें) तो इस हालत में तरावीह जमाअत से पढ़ने की इजाज़त नहीं,

📚 फ़तावा आलमगीरी जिल्द 1 सफ़ह 109)

📘 दुर्रे मुख़्तार,
📔 रद्दुल मोहतार जिल्द 1 सफ़ह 475)
📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 158)

Next........

🌹 तालिबे दुआ 🤲👇


हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुल्फ़ुक़ार ख़ान नईमी साहब क़िब्ला व हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम रज़ा नईमी साहब क़िब्ला और ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी इंडिया,

✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 फ़िक़ही पहेलियां क़िस्त 59

present by (sartaj)

❤️❤️❤️❤️जनाज़ा की पहेलियां 1


1️⃣ सवाल----- वह कौन-सा मुर्दा है कि ना उसे मर्द नहला सकता है और ना औरत,


1️⃣ जवाब----- ख़ुन्सा (यानी हिजड़ा) मुश्किल को ना मर्द नहला सकता है ना औरत बल्कि तयम्मुम कराया जाए,


📚 बहारे शरिअत हिस्सा 4, सफ़ह 135)




📚 फ़तावा आलमगीरी जिल्द 1 मिसरी, सफ़ह 150)


2️⃣ सवाल----- कहां पर नमाज़े जनाज़ा जाइज़ नहीं,❤️❤️❤️❤️


2️⃣ जवाब----- मस्जिद में नमाज़े जनाज़ा पढ़ना जाइज़ नहीं,❤️❤️❤️❤️

फ़तावा रज़वियह जिल्द 4 सफ़ह 57 में है कि,❤️❤️❤️❤️


नमाज़े जनाज़ा मस्जिद में रखकर उस पर नमाज़ मज़हबे हन्फी में मकरूहे तहरीमी है,


तनवीरुल अबसार में है,❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️



كر هت تحريما فى مسجد جماعة هى فيه اه،،


और हर मकरूहे तहरीमी ना जाइज़ व गुनाह है,❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️


जैसा कि रद्दुल मोहतार जिल्द 1 सफ़ह 306, में है

❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

صرح العلامة ابن نجيم فى رسالة المولفة فى بيان المعاصى بان كل مكروه تحريما من الصغاىر،


और गुनाहे सगीरा तकरार से गुनाहे कबीरा के हुक्म में हो जाता है,


जैसा कि रद्दुल मोहतार जिल्द 4 सफ़ह 377, में है,❤️


और गुनाहे कबीरा का मुर्तकिब फ़ासिक़ है,

❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 166)

❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

3️⃣ सवाल----- किन लोगों की नमाज़े जनाज़ा नहीं है,



3️⃣ जवाब----- 1,बाग़ी जो इमामे-बर हक़ पर ना हक़ ख़ुरूज करे और उसी बग़ावत में मारा जाए, 

2,डाकू जो के डाके में मारा गया ना उनको गुसल दिया जाए ना उनकी नमाज़े जनाज़ा पढ़ी जाए, 

3,जो लोग ना हक़ पासदारी से लड़ें बलके जो उनका 4,तमाशा देख रहे थे कि उसी हालत में पत्थर आकर लगा और मर गए तो उनकी भी नमाज़ नहीं, 

5,जिसने कई शख्स को गला घोट कर मार डाला हो,

6,शहर में रात को हथियार लेकर लूटमार करें वह भी डाकू हैं इस हालत में मारे जाएं तो उनकी भी नमाज़ ना पढ़ी जाए,

7,जिसने अपने मां-बाप को मार डाला उसकी भी नमाज़ नहीं, जो किसी का माल छीन रहा था और उसी हालत में मारा गया उसकी भी नमाज़ नहीं,


📚 बहारे शरिअत हिस्सा 4 सफ़ह 147,

📘 फ़तावा आलमगीरी,

📔 दुर्रे मुख़्तार,

📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 166)


Next........


🌹 तालिबे दुआ 🤲👇


हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुल्फ़ुक़ार ख़ान नईमी साहब क़िब्ला व हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम रज़ा नईमी साहब क़िब्ला और ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी इंडिया,

                                                                        




                                                                         👉   Topic 2 👈   





फ़िक़ही पहेलियां क़िस्त 52

मुतफ़र्रिक़ाते नमाज़ की पहेलियां 3

1️⃣1️⃣ सवाल----- किस सूरत में ज़ौहर की 2.रकअत सुन्नत को ज़ौहर की 4.रकअत सुन्नत से पहले पढ़ना अफ़ज़ल है,

1️⃣1️⃣ जवाब----- जबके ज़ौहर की 4.रकअत सुन्नत को फ़र्ज़ से पहले ना पढ़ सका हो तो इस सूरत में ज़ौहर की 2.रकअत सुन्नत को ज़ौहर की 4.रकअत सुन्नत से पहले पढ़ना अफ़ज़ल है,

📘 हाशिया शरहे वक़ायह जिल्द 1 सफ़ह 180)
📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 158)

1️⃣2️⃣ सवाल----- वह कौन-सी नमाज़ है कि उसे लोगों पर ज़ाहिर करना गुनाह है,

1️⃣2️⃣ जवाब----- क़ज़ा नमाज़ का लोगों पर ज़ाहिर करना गुनाह है इसलिए कि नमाज़ का तर्क करना (छोड़ना) गुनाह है और गुनाह का ज़ाहिर करना भी गुनाह है,


📔 रद्दुल मोहतार जिल्द 1 सफ़ह 495)

1️⃣3️⃣ सवाल----- इशा की नमाज़ पढ़कर के सोया फिर बेदार होने पर उसी नमाज़ का दोबारा पढ़ना फ़र्ज़ है उसकी सूरत क्या है,

1️⃣3️⃣ जवाब----- नाबालिग़ लड़का इशा की नमाज़ पढ़कर सोया और उसे रात में एहतेलाम (स्वप्नदोष, नाइट फॉल) हुआ तो बेदार होने पर (जागने पर) उसे इशा की नमाज़ दोबारा पढ़ना फ़र्ज़ है और अगर लड़की एहतेलाम से बालिग़ हुई तो उसके लिए भी यही हुक्म है,

📚 फ़तावा आलमगीरी जिल्द 1 मिसरी सफ़ह 113)

1️⃣4️⃣ सवाल----- किस हालत में तरावीह जमाअत से पढ़ने की इजाज़त नहीं,

1️⃣4️⃣ जवाब----- अगर सब लोग इशा की जमाअत तर्क कर दें (यानी छोड़ दें) तो इस हालत में तरावीह जमाअत से पढ़ने की इजाज़त नहीं,

📚 फ़तावा आलमगीरी जिल्द 1 सफ़ह 109)

📘 दुर्रे मुख़्तार,
📔 रद्दुल मोहतार जिल्द 1 सफ़ह 475)
📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 158)

Next........

🌹 तालिबे दुआ 🤲👇


हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुल्फ़ुक़ार ख़ान नईमी साहब क़िब्ला व हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम रज़ा नईमी साहब क़िब्ला और ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी इंडिया,

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