✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 फ़िक़ही पहेलियां क़िस्त 59
present by (sartaj)
❤️❤️❤️❤️जनाज़ा की पहेलियां 1
1️⃣ सवाल----- वह कौन-सा मुर्दा है कि ना उसे मर्द नहला सकता है और ना औरत,
1️⃣ जवाब----- ख़ुन्सा (यानी हिजड़ा) मुश्किल को ना मर्द नहला सकता है ना औरत बल्कि तयम्मुम कराया जाए,
📚 बहारे शरिअत हिस्सा 4, सफ़ह 135)
📚 फ़तावा आलमगीरी जिल्द 1 मिसरी, सफ़ह 150)
2️⃣ सवाल----- कहां पर नमाज़े जनाज़ा जाइज़ नहीं,❤️❤️❤️❤️
2️⃣ जवाब----- मस्जिद में नमाज़े जनाज़ा पढ़ना जाइज़ नहीं,❤️❤️❤️❤️
फ़तावा रज़वियह जिल्द 4 सफ़ह 57 में है कि,❤️❤️❤️❤️
नमाज़े जनाज़ा मस्जिद में रखकर उस पर नमाज़ मज़हबे हन्फी में मकरूहे तहरीमी है,
तनवीरुल अबसार में है,❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
كر هت تحريما فى مسجد جماعة هى فيه اه،،
और हर मकरूहे तहरीमी ना जाइज़ व गुनाह है,❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
जैसा कि रद्दुल मोहतार जिल्द 1 सफ़ह 306, में है
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
صرح العلامة ابن نجيم فى رسالة المولفة فى بيان المعاصى بان كل مكروه تحريما من الصغاىر،
और गुनाहे सगीरा तकरार से गुनाहे कबीरा के हुक्म में हो जाता है,
जैसा कि रद्दुल मोहतार जिल्द 4 सफ़ह 377, में है,❤️
और गुनाहे कबीरा का मुर्तकिब फ़ासिक़ है,
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 166)
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
3️⃣ सवाल----- किन लोगों की नमाज़े जनाज़ा नहीं है,
3️⃣ जवाब----- 1,बाग़ी जो इमामे-बर हक़ पर ना हक़ ख़ुरूज करे और उसी बग़ावत में मारा जाए,
2,डाकू जो के डाके में मारा गया ना उनको गुसल दिया जाए ना उनकी नमाज़े जनाज़ा पढ़ी जाए,
3,जो लोग ना हक़ पासदारी से लड़ें बलके जो उनका 4,तमाशा देख रहे थे कि उसी हालत में पत्थर आकर लगा और मर गए तो उनकी भी नमाज़ नहीं,
5,जिसने कई शख्स को गला घोट कर मार डाला हो,
6,शहर में रात को हथियार लेकर लूटमार करें वह भी डाकू हैं इस हालत में मारे जाएं तो उनकी भी नमाज़ ना पढ़ी जाए,
7,जिसने अपने मां-बाप को मार डाला उसकी भी नमाज़ नहीं, जो किसी का माल छीन रहा था और उसी हालत में मारा गया उसकी भी नमाज़ नहीं,
📚 बहारे शरिअत हिस्सा 4 सफ़ह 147,
📘 फ़तावा आलमगीरी,
📔 दुर्रे मुख़्तार,
📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 166)
Next........
🌹 तालिबे दुआ 🤲👇
हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुल्फ़ुक़ार ख़ान नईमी साहब क़िब्ला व हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम रज़ा नईमी साहब क़िब्ला और ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी इंडिया,
✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 फ़िक़ही पहेलियां क़िस्त 59
present by (sartaj)
❤️❤️❤️❤️जनाज़ा की पहेलियां 1
1️⃣ सवाल----- वह कौन-सा मुर्दा है कि ना उसे मर्द नहला सकता है और ना औरत,
1️⃣ जवाब----- ख़ुन्सा (यानी हिजड़ा) मुश्किल को ना मर्द नहला सकता है ना औरत बल्कि तयम्मुम कराया जाए,
📚 बहारे शरिअत हिस्सा 4, सफ़ह 135)
📚 फ़तावा आलमगीरी जिल्द 1 मिसरी, सफ़ह 150)
2️⃣ सवाल----- कहां पर नमाज़े जनाज़ा जाइज़ नहीं,❤️❤️❤️❤️
2️⃣ जवाब----- मस्जिद में नमाज़े जनाज़ा पढ़ना जाइज़ नहीं,❤️❤️❤️❤️
फ़तावा रज़वियह जिल्द 4 सफ़ह 57 में है कि,❤️❤️❤️❤️
नमाज़े जनाज़ा मस्जिद में रखकर उस पर नमाज़ मज़हबे हन्फी में मकरूहे तहरीमी है,
तनवीरुल अबसार में है,❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
كر هت تحريما فى مسجد جماعة هى فيه اه،،
और हर मकरूहे तहरीमी ना जाइज़ व गुनाह है,❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
जैसा कि रद्दुल मोहतार जिल्द 1 सफ़ह 306, में है
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
صرح العلامة ابن نجيم فى رسالة المولفة فى بيان المعاصى بان كل مكروه تحريما من الصغاىر،
और गुनाहे सगीरा तकरार से गुनाहे कबीरा के हुक्म में हो जाता है,
जैसा कि रद्दुल मोहतार जिल्द 4 सफ़ह 377, में है,❤️
और गुनाहे कबीरा का मुर्तकिब फ़ासिक़ है,
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 166)
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
3️⃣ सवाल----- किन लोगों की नमाज़े जनाज़ा नहीं है,
3️⃣ जवाब----- 1,बाग़ी जो इमामे-बर हक़ पर ना हक़ ख़ुरूज करे और उसी बग़ावत में मारा जाए,
2,डाकू जो के डाके में मारा गया ना उनको गुसल दिया जाए ना उनकी नमाज़े जनाज़ा पढ़ी जाए,
3,जो लोग ना हक़ पासदारी से लड़ें बलके जो उनका 4,तमाशा देख रहे थे कि उसी हालत में पत्थर आकर लगा और मर गए तो उनकी भी नमाज़ नहीं,
5,जिसने कई शख्स को गला घोट कर मार डाला हो,
6,शहर में रात को हथियार लेकर लूटमार करें वह भी डाकू हैं इस हालत में मारे जाएं तो उनकी भी नमाज़ ना पढ़ी जाए,
7,जिसने अपने मां-बाप को मार डाला उसकी भी नमाज़ नहीं, जो किसी का माल छीन रहा था और उसी हालत में मारा गया उसकी भी नमाज़ नहीं,
📚 बहारे शरिअत हिस्सा 4 सफ़ह 147,
📘 फ़तावा आलमगीरी,
📔 दुर्रे मुख़्तार,
📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 166)
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हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुल्फ़ुक़ार ख़ान नईमी साहब क़िब्ला व हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम रज़ा नईमी साहब क़िब्ला और ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी इंडिया,
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