Thursday, September 10, 2020

 


1️⃣4️⃣ सवाल----- किस सूरत में मुर्दा को क़ब्र से निकालना जाइज़ है,


1️⃣4️⃣ जवाब----- जबके दूसरे की ज़मीन में बग़ैर इजाज़त मुर्दा दफ़न कर दिया गया हो तो इस सूरत में ज़मीन के मालिक को क़ब्र से मुर्दा निकालना जाइज़ है,


Download Now

📚 दुर्रे मुख़्तार मअ् शामी जिल्द 1 सफ़ह 602)


लेकिन अगर ज़मीन का मालिक अपने मुर्दा भाई के साथ एहसान करेगा तो ख़ुदा ए तआला उसके साथ एहसान फ़रमाएगा,

تد ين تدان،،


📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 170)


1️⃣5️⃣ सवाल----- किस सूरत में मुर्दा का पेट फाड़ना जाइज़ है,


1️⃣5️⃣ जवाब----- जबके औरत मर गई और बच्चा उसके पेट में हरकत कर रहा है तो इस सूरत में बच्चा को निकालने के लिए मुर्दा औरत का पेट फाड़ना जाइज़ है


📚 दुर्रे मुख़्तार मअ् शामी जिल्द 1 सफ़ह 602)


1️⃣6️⃣ सवाल----- उम्मत में वह कौन लोग हैं जो सवाले नकीरैन और अज़ाबे क़ब्र से महफूज़ रहते हैं,


1️⃣6️⃣ जवाब----- शबे जुमा, रोज़े जुमा और माहे रमज़ान में जो मुसलमान मरेंगे वह सवाले नकीरैन और अज़ाबे क़ब्र से महफूज़ रहेंगे,


والله اكرم ان يعفو من شيء ثم يعود فيه،


यानी अल्लाह उससे ज़्यादा करीम है कि एक शय को मुआफ़ फ़रमाकर फिर उसपर मुवाख़िज़ा करे,


ऐसा ही फ़तावा रज़वियह जिल्द 4, सफ़ह 124 में है,,


1️⃣7️⃣ सवाल----- किस सूरत में नमाज़े जनाज़ा पढ़ने पर सवाब नहीं,


1️⃣7️⃣ जवाब----- जबके जमाअत की मस्जिद में नमाज़े जनाज़ा पढ़ी जाए तो इस सूरत में नमाज़े जनाज़ा पढ़ने पर सवाब नहीं,


जैसा के हिदायह जिल्द 1 सफ़ह 161 में है👇


لا يصلى على ميت فى مسجد جماعة لقوله عليه السلام من صلى على جنازة فى المسجد فلا اجر له،


यानी जमाअत की मस्जिद में नमाज़े जनाज़ा न पढ़ी जाए इसलिए कि हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया है कि

जो शख़्स मस्जिद में नमाज़े जनाज़ा पढ़े उसके लिए कोई सवाब नहीं,


और बहरुर्राइक़ जिल्द 2 सफ़ह 176, में है👇,


मस्जिद में नमाज़े जनाज़ा न पढ़ी जाए इसलिए कि अबूदाऊद शरीफ़ की हदीस मरफ़ूअ् है कि


जिसने मस्जिद में नमाज़े जनाज़ा पढ़ी उसके लिए कोई सवाब नहीं, और एक रिवायत में है कि उनके लिए कुछ नहीं,


📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 169--170--171)


Next........


🌹 तालिबे दुआ 🤲👇


हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुल्फ़ुक़ार ख़ान नईमी साहब क़िब्ला व हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम रज़ा नईमी साहब क़िब्ला और ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी इंडिया,

topic.2........................................................7️⃣ सवाल----- नमाज़े जनाज़ा में सूरह ए फ़ातिहा पढ़ना जाइज़ है, उसकी सूरत क्या है,

7️⃣ जवाब----- नमाज़े जनाज़ा में हम्द व सना की नियत से सूरह ए फ़ातिहा पढ़ना जाइज़ है,
जैसा के उम्दातुर्रिआयह हाशियह शरहे वक़ायह मजीदी जिल्द 1, सफ़ह 207, में है
لو قراء الفاتحة بنية الثناء جازكذ افى الاشباه،

📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 168)

8️⃣ सवाल----- किस शख़्स को नमाज़े जनाज़ा पढ़ाने के लिए वली से इजाज़त लेना ज़रूरी नहीं,

8️⃣ जवाब----- मुहल्ला की मस्जिद का इमाम के जिसके पीछे मैय्यत नमाज़ पढ़ा करता था अगर वली से वह अफ़ज़ल हो तो उसे नमाज़े जनाज़ा पढ़ाने के लिए वली से इजाज़त लेना ज़रूरी नहीं जैसा के आलाहज़रत इमाम अहमद रज़ा बरेलवी रज़िअल्लाहू तआला अन्ह तहरीर फ़रमाते हैं,
امام الحى،
यानी मस्जिदे मुहल्ला का इमाम अगर मैय्यत उनके पीछे नमाज़ पढ़ा करता था और यह फ़ज़ले दीनी में वली से ज़ाइद हैं तो बे इज़्ने वली (नमाज़े जनाज़ा) पढ़ा सकते हैं,
📚 फ़तावा रज़वियह जिल्द 4, सफ़ह 58)

और जिन लोगों को विलायते आम्मह हासिल होती है जैसे सुल्ताने इस्लाम, उसका नायब या क़ाज़ी ए शरअ् वग़ैरह, इन लोगों को भी नमाज़े जनाज़ा पढ़ाने के लिए वली से इजाज़त लेने की ज़रूरत नहीं,

📚 दुर्रे मुख़्तार मअ् शामी जिल्द 1 सफ़ह 590)

9️⃣ सवाल----- जबके मुसलमान और काफ़िर मुर्दा को ना पहचान सकें तो उनको दफ़न कहां किया जाए,

9️⃣ जवाब----- अगर मुसलमान ज़्यादा हों तो उनको मुस्लिम क़ब्रिस्तान में दफ़न किया जाए और काफ़िर ज़्यादा हों तो काफिरों के क़ब्रिस्तान में गाड़ा जाए, और अगर बराबर हों तो ऐहतियातन दोनों के क़ब्रिस्तानों से अलग तीसरी जगह दफ़न किया जाए,

📚 फ़तावा आलमगीरी जिल्द 1 सफ़ह 149,
📘 दुर्रे मुख़्तार मअ् शामी जिल्द 1 सफ़ह 577)
📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 168--169)

 Next........

🌹 तालिबे दुआ 🤲👇

हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुल्फ़ुक़ार ख़ान नईमी साहब क़िब्ला व हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम रज़ा नईमी साहब क़िब्ला और ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी इंडिया,

Tuesday, September 8, 2020

Islam In The Modern World - The Evolution Of Islam


 

फ़िक़ही पहेलियां क़िस्त 62


जनाज़ा की पहेलियां 4


1️⃣0️⃣ सवाल----- कहां मुर्दा दफ़न करना हराम है,


1️⃣0️⃣ जवाब----- मालिक की इजाज़त के बग़ैर उसकी ज़मीन में मुर्दा दफ़न करना हराम है,


📚फ़तावा रज़वियह जिल्द 4, सफ़ह 15)


जगह होते हुए पुरानी क़ब्र में दफ़न करना हराम है,


📚 फ़तावा रज़वियह जिल्द 4 सफ़ह 104)









और मस्जिद तामीर होने के बाद सहने मस्जिद में भी मुर्दा को दफ़न करना हराम है,


📚 फ़तावा रज़वियह जिल्द 4 सफ़ह 114)   


1️⃣1️⃣ सवाल----- किस सूरत में मुर्दा को दफ़न करना हराम है,


1️⃣1️⃣ जवाब----- नमाज़े जनाज़ा पढ़े बग़ैर मुर्दा को दफ़न करना हराम है इसलिए के नमाज़े जनाज़ा फ़र्ज़ है और फ़र्ज़ का तर्क (छोड़ना) हराम है,


📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 169)


1️⃣2️⃣ सवाल----- वह कौनसे मुसलमान मुर्दे हैं जो ज़मीन में दफ़न नहीं किए जाते,


1️⃣2️⃣ जवाब----- जो मुसलमान के समन्दर में बहरी जहाज़ या कश्ती पर मर जाते हैं और साहिल दूर होता है तो ऐसे मुसलमान मुर्दे ज़मीन में दफ़न नहीं किए जाते बलके पानी में डाल दिए जाते हैं,


📚 फ़तावा रज़वियह जिल्द 1 मतबुआ मिस्र सफ़ह 149)










1️⃣3️⃣ सवाल----- वह कौन सा मुर्दा है के क़ब्र में उसकी पीठ क़िब्ला की तरफ़ की जाएगी,





1️⃣3️⃣ जवाब----- जो काफ़िरा जिम्मिया मुसलमान से हामिला (गर्भवती) है अगर बच्चा में जान पड़ने के बाद मर गई और बच्चा भी पेट में हरकत नहीं कर रहा है तो उस औरत को मुस्लिम कब्रिस्तान से अलैहदा दफ़न किया जाएगा और उसकी पीठ क़िब्ला की तरफ़ की जाएगी,


📚 दुर्रे मुख़्तार मअ् शामी जिल्द 1 सफ़ह 577)

📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 169---170)


Next........


🌹 तालिबे दुआ 🤲👇


हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुल्फ़ुक़ार ख़ान नईमी साहब क़िब्ला व हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम रज़ा नईमी साहब क़िब्ला और ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी इंडिया,


❤️❤️❤️☞☞Namaz ❤️kya❤️ hai ☛☞☞ or use☛☞☞ padne ❤️❤️kya☛☞☞ hota hai❤️❤️❤️❤️

✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 फ़िक़ही पहेलियां क़िस्त 59

present by (sartaj)

❤️❤️❤️❤️जनाज़ा की पहेलियां 1


1️⃣ सवाल----- वह कौन-सा मुर्दा है कि ना उसे मर्द नहला सकता है और ना औरत,


1️⃣ जवाब----- ख़ुन्सा (यानी हिजड़ा) मुश्किल को ना मर्द नहला सकता है ना औरत बल्कि तयम्मुम कराया जाए,


📚 बहारे शरिअत हिस्सा 4, सफ़ह 135)



📚 फ़तावा आलमगीरी जिल्द 1 मिसरी, सफ़ह 150)


2️⃣ सवाल----- कहां पर नमाज़े जनाज़ा जाइज़ नहीं,❤️❤️❤️❤️


2️⃣ जवाब----- मस्जिद में नमाज़े जनाज़ा पढ़ना जाइज़ नहीं,❤️❤️❤️❤️

फ़तावा रज़वियह जिल्द 4 सफ़ह 57 में है कि,❤️❤️❤️❤️


नमाज़े जनाज़ा मस्जिद में रखकर उस पर नमाज़ मज़हबे हन्फी में मकरूहे तहरीमी है,


तनवीरुल अबसार में है,❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️



كر هت تحريما فى مسجد جماعة هى فيه اه،،


और हर मकरूहे तहरीमी ना जाइज़ व गुनाह है,❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️


जैसा कि रद्दुल मोहतार जिल्द 1 सफ़ह 306, में है

❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

صرح العلامة ابن نجيم فى رسالة المولفة فى بيان المعاصى بان كل مكروه تحريما من الصغاىر،


और गुनाहे सगीरा तकरार से गुनाहे कबीरा के हुक्म में हो जाता है,


जैसा कि रद्दुल मोहतार जिल्द 4 सफ़ह 377, में है,❤️


और गुनाहे कबीरा का मुर्तकिब फ़ासिक़ है,

❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 166)

❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

3️⃣ सवाल----- किन लोगों की नमाज़े जनाज़ा नहीं है,



3️⃣ जवाब----- 1,बाग़ी जो इमामे-बर हक़ पर ना हक़ ख़ुरूज करे और उसी बग़ावत में मारा जाए, 

2,डाकू जो के डाके में मारा गया ना उनको गुसल दिया जाए ना उनकी नमाज़े जनाज़ा पढ़ी जाए, 

3,जो लोग ना हक़ पासदारी से लड़ें बलके जो उनका 4,तमाशा देख रहे थे कि उसी हालत में पत्थर आकर लगा और मर गए तो उनकी भी नमाज़ नहीं, 

5,जिसने कई शख्स को गला घोट कर मार डाला हो,

6,शहर में रात को हथियार लेकर लूटमार करें वह भी डाकू हैं इस हालत में मारे जाएं तो उनकी भी नमाज़ ना पढ़ी जाए,

7,जिसने अपने मां-बाप को मार डाला उसकी भी नमाज़ नहीं, जो किसी का माल छीन रहा था और उसी हालत में मारा गया उसकी भी नमाज़ नहीं,


📚 बहारे शरिअत हिस्सा 4 सफ़ह 147,

📘 फ़तावा आलमगीरी,

📔 दुर्रे मुख़्तार,

📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 166)


Next........


🌹 तालिबे दुआ 🤲👇


हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुल्फ़ुक़ार ख़ान नईमी साहब क़िब्ला व हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम रज़ा नईमी साहब क़िब्ला और ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी इंडिया,

                                                                        




                                                                         👉   Topic 2 👈   





फ़िक़ही पहेलियां क़िस्त 52

मुतफ़र्रिक़ाते नमाज़ की पहेलियां 3

1️⃣1️⃣ सवाल----- किस सूरत में ज़ौहर की 2.रकअत सुन्नत को ज़ौहर की 4.रकअत सुन्नत से पहले पढ़ना अफ़ज़ल है,

1️⃣1️⃣ जवाब----- जबके ज़ौहर की 4.रकअत सुन्नत को फ़र्ज़ से पहले ना पढ़ सका हो तो इस सूरत में ज़ौहर की 2.रकअत सुन्नत को ज़ौहर की 4.रकअत सुन्नत से पहले पढ़ना अफ़ज़ल है,

📘 हाशिया शरहे वक़ायह जिल्द 1 सफ़ह 180)
📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 158)

1️⃣2️⃣ सवाल----- वह कौन-सी नमाज़ है कि उसे लोगों पर ज़ाहिर करना गुनाह है,

1️⃣2️⃣ जवाब----- क़ज़ा नमाज़ का लोगों पर ज़ाहिर करना गुनाह है इसलिए कि नमाज़ का तर्क करना (छोड़ना) गुनाह है और गुनाह का ज़ाहिर करना भी गुनाह है,


📔 रद्दुल मोहतार जिल्द 1 सफ़ह 495)

1️⃣3️⃣ सवाल----- इशा की नमाज़ पढ़कर के सोया फिर बेदार होने पर उसी नमाज़ का दोबारा पढ़ना फ़र्ज़ है उसकी सूरत क्या है,

1️⃣3️⃣ जवाब----- नाबालिग़ लड़का इशा की नमाज़ पढ़कर सोया और उसे रात में एहतेलाम (स्वप्नदोष, नाइट फॉल) हुआ तो बेदार होने पर (जागने पर) उसे इशा की नमाज़ दोबारा पढ़ना फ़र्ज़ है और अगर लड़की एहतेलाम से बालिग़ हुई तो उसके लिए भी यही हुक्म है,

📚 फ़तावा आलमगीरी जिल्द 1 मिसरी सफ़ह 113)

1️⃣4️⃣ सवाल----- किस हालत में तरावीह जमाअत से पढ़ने की इजाज़त नहीं,

1️⃣4️⃣ जवाब----- अगर सब लोग इशा की जमाअत तर्क कर दें (यानी छोड़ दें) तो इस हालत में तरावीह जमाअत से पढ़ने की इजाज़त नहीं,

📚 फ़तावा आलमगीरी जिल्द 1 सफ़ह 109)

📘 दुर्रे मुख़्तार,
📔 रद्दुल मोहतार जिल्द 1 सफ़ह 475)
📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 158)

Next........

🌹 तालिबे दुआ 🤲👇


हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुल्फ़ुक़ार ख़ान नईमी साहब क़िब्ला व हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम रज़ा नईमी साहब क़िब्ला और ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी इंडिया,

✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️✌️🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 फ़िक़ही पहेलियां क़िस्त 59

present by (sartaj)

❤️❤️❤️❤️जनाज़ा की पहेलियां 1


1️⃣ सवाल----- वह कौन-सा मुर्दा है कि ना उसे मर्द नहला सकता है और ना औरत,


1️⃣ जवाब----- ख़ुन्सा (यानी हिजड़ा) मुश्किल को ना मर्द नहला सकता है ना औरत बल्कि तयम्मुम कराया जाए,


📚 बहारे शरिअत हिस्सा 4, सफ़ह 135)




📚 फ़तावा आलमगीरी जिल्द 1 मिसरी, सफ़ह 150)


2️⃣ सवाल----- कहां पर नमाज़े जनाज़ा जाइज़ नहीं,❤️❤️❤️❤️


2️⃣ जवाब----- मस्जिद में नमाज़े जनाज़ा पढ़ना जाइज़ नहीं,❤️❤️❤️❤️

फ़तावा रज़वियह जिल्द 4 सफ़ह 57 में है कि,❤️❤️❤️❤️


नमाज़े जनाज़ा मस्जिद में रखकर उस पर नमाज़ मज़हबे हन्फी में मकरूहे तहरीमी है,


तनवीरुल अबसार में है,❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️



كر هت تحريما فى مسجد جماعة هى فيه اه،،


और हर मकरूहे तहरीमी ना जाइज़ व गुनाह है,❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️


जैसा कि रद्दुल मोहतार जिल्द 1 सफ़ह 306, में है

❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

صرح العلامة ابن نجيم فى رسالة المولفة فى بيان المعاصى بان كل مكروه تحريما من الصغاىر،


और गुनाहे सगीरा तकरार से गुनाहे कबीरा के हुक्म में हो जाता है,


जैसा कि रद्दुल मोहतार जिल्द 4 सफ़ह 377, में है,❤️


और गुनाहे कबीरा का मुर्तकिब फ़ासिक़ है,

❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 166)

❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

3️⃣ सवाल----- किन लोगों की नमाज़े जनाज़ा नहीं है,



3️⃣ जवाब----- 1,बाग़ी जो इमामे-बर हक़ पर ना हक़ ख़ुरूज करे और उसी बग़ावत में मारा जाए, 

2,डाकू जो के डाके में मारा गया ना उनको गुसल दिया जाए ना उनकी नमाज़े जनाज़ा पढ़ी जाए, 

3,जो लोग ना हक़ पासदारी से लड़ें बलके जो उनका 4,तमाशा देख रहे थे कि उसी हालत में पत्थर आकर लगा और मर गए तो उनकी भी नमाज़ नहीं, 

5,जिसने कई शख्स को गला घोट कर मार डाला हो,

6,शहर में रात को हथियार लेकर लूटमार करें वह भी डाकू हैं इस हालत में मारे जाएं तो उनकी भी नमाज़ ना पढ़ी जाए,

7,जिसने अपने मां-बाप को मार डाला उसकी भी नमाज़ नहीं, जो किसी का माल छीन रहा था और उसी हालत में मारा गया उसकी भी नमाज़ नहीं,


📚 बहारे शरिअत हिस्सा 4 सफ़ह 147,

📘 फ़तावा आलमगीरी,

📔 दुर्रे मुख़्तार,

📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 166)


Next........


🌹 तालिबे दुआ 🤲👇


हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुल्फ़ुक़ार ख़ान नईमी साहब क़िब्ला व हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम रज़ा नईमी साहब क़िब्ला और ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी इंडिया,

                                                                        




                                                                         👉   Topic 2 👈   





फ़िक़ही पहेलियां क़िस्त 52

मुतफ़र्रिक़ाते नमाज़ की पहेलियां 3

1️⃣1️⃣ सवाल----- किस सूरत में ज़ौहर की 2.रकअत सुन्नत को ज़ौहर की 4.रकअत सुन्नत से पहले पढ़ना अफ़ज़ल है,

1️⃣1️⃣ जवाब----- जबके ज़ौहर की 4.रकअत सुन्नत को फ़र्ज़ से पहले ना पढ़ सका हो तो इस सूरत में ज़ौहर की 2.रकअत सुन्नत को ज़ौहर की 4.रकअत सुन्नत से पहले पढ़ना अफ़ज़ल है,

📘 हाशिया शरहे वक़ायह जिल्द 1 सफ़ह 180)
📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 158)

1️⃣2️⃣ सवाल----- वह कौन-सी नमाज़ है कि उसे लोगों पर ज़ाहिर करना गुनाह है,

1️⃣2️⃣ जवाब----- क़ज़ा नमाज़ का लोगों पर ज़ाहिर करना गुनाह है इसलिए कि नमाज़ का तर्क करना (छोड़ना) गुनाह है और गुनाह का ज़ाहिर करना भी गुनाह है,


📔 रद्दुल मोहतार जिल्द 1 सफ़ह 495)

1️⃣3️⃣ सवाल----- इशा की नमाज़ पढ़कर के सोया फिर बेदार होने पर उसी नमाज़ का दोबारा पढ़ना फ़र्ज़ है उसकी सूरत क्या है,

1️⃣3️⃣ जवाब----- नाबालिग़ लड़का इशा की नमाज़ पढ़कर सोया और उसे रात में एहतेलाम (स्वप्नदोष, नाइट फॉल) हुआ तो बेदार होने पर (जागने पर) उसे इशा की नमाज़ दोबारा पढ़ना फ़र्ज़ है और अगर लड़की एहतेलाम से बालिग़ हुई तो उसके लिए भी यही हुक्म है,

📚 फ़तावा आलमगीरी जिल्द 1 मिसरी सफ़ह 113)

1️⃣4️⃣ सवाल----- किस हालत में तरावीह जमाअत से पढ़ने की इजाज़त नहीं,

1️⃣4️⃣ जवाब----- अगर सब लोग इशा की जमाअत तर्क कर दें (यानी छोड़ दें) तो इस हालत में तरावीह जमाअत से पढ़ने की इजाज़त नहीं,

📚 फ़तावा आलमगीरी जिल्द 1 सफ़ह 109)

📘 दुर्रे मुख़्तार,
📔 रद्दुल मोहतार जिल्द 1 सफ़ह 475)
📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 158)

Next........

🌹 तालिबे दुआ 🤲👇


हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुल्फ़ुक़ार ख़ान नईमी साहब क़िब्ला व हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम रज़ा नईमी साहब क़िब्ला और ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी इंडिया,

Sunday, September 6, 2020

❤❤❤❤NAMZE -E-JANAJA ❤❤❤❤❤

 














सवाल----- किस शख़्स को नमाज़े जनाज़ा पढ़ाने के लिए वली से इजाज़त लेना ज़रूरी नहीं, 8️⃣ जवाब----- मुहल्ला की मस्जिद का इमाम के जिसके पीछे मैय्यत नमाज़ पढ़ा करता था अगर वली से वह अफ़ज़ल हो तो उसे नमाज़े जनाज़ा पढ़ाने के लिए वली से इजाज़त लेना ज़रूरी नहीं 


जैसा के आलाहज़रत इमाम अहमद रज़ा बरेलवी रज़िअल्लाहू तआला अन्ह तहरीर फ़रमाते हैं, امام الحى، यानी मस्जिदे मुहल्ला का इमाम अगर मैय्यत उनके पीछे नमाज़ पढ़ा करता था और यह फ़ज़ले दीनी में वली









 से ज़ाइद हैं तो बे इज़्ने वली (नमाज़े जनाज़ा) पढ़ा सकते हैं, 📚 फ़तावा रज़वियह जिल्द 4, सफ़ह 58) और जिन लोगों को विलायते आम्मह हासिल होती है जैसे सुल्ताने इस्लाम, उसका नायब या क़ाज़ी ए शरअ् वग़ैरह, इन लोगों को भी नमाज़े जनाज़ा पढ़ाने के लिए वली से 

❤❤इजाज़त लेने की ज़रूरत नहीं, 📚 दुर्रे मुख़्तार मअ् शामी जिल्द 1 सफ़ह 590) 9️⃣ सवाल----- जबके मुसलमान और काफ़िर मुर्दा को ना पहचान सकें तो उनको दफ़न 



कहां किया जाए, 9️⃣ जवाब----- अगर मुसलमान ज़्यादा हों तो उनको मुस्लिम क़ब्रिस्तान में दफ़न किया जाए और काफ़िर ज़्यादा हों तो काफिरों के क़ब्रिस्तान में गाड़ा 




जाए, और अगर बराबर हों तो ऐहतियातन दोनों के क़ब्रिस्तानों से अलग तीसरी जगह दफ़न किया जाए, 📚 फ़तावा आलमगीरी जिल्द 1 सफ़ह 149, 📘 दुर्रे मुख़्तार मअ् शामी जिल्द 1 सफ़ह 577) 📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 168--169) Next........ 🌹 तालिबे दुआ 🤲👇 



हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुल्फ़ुक़ार ख़ान नईमी साहब क़िब्ला व हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम रज़ा नईमी साहब क़िब्ला और ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी इंडिया,

❤❤❤❤islamic status ❤❤ present by sartaj

❤❤इबादत और जदीद साइंस क़िस्त 37 वुज़ू और जदीद साइंस. 5 चहरे की क्रीमें और वुज़ू आज कल लोग चहरे की खाल को मुलायम और ख़ूबसूरत रखने के लिए बहुत सी क्रीमें इस्तेमाल करते हैं लेकिन जो जवान है





वो क्रीम ना भी लगाए तो अच्छा ही लगता है अगर आपकी क्रीम

 खाल को अच्छा करती है तो आप बढ़िया से बढ़िया क्रीम लाएं और

 90 साला बूढ़े को लगाएं तो यह क्रीम उस बूढ़े के चहरे का कुछ नही

 कर सकेगी क्योंकि उस बूढ़े का चहरा झुर्रियों के ज़द में आ चुका है

 और उन झुर्रियों का इलाज वुज़ू के पास है







जिसके अन्दर static electricity का एक तवाज़ुन मोजूद होता है 

और एक सेहत मन्द जिस्म की fhysiology का इस बर्क़ी तवाज़ुन

 से गहरा रिश्ता है फिज़ाई हालात इस तवाज़ुन को बुरी तरह

 मुतअस्सिर करते हैं नतीजतन आदमी कई क़्सम की

 नफ़सियाती बीमारियों का शिकार हो जाता है खाल के मर्ज़ चहरे

 पर झुर्रियाँ आ जाना static electricity के अदमे तवाज़ुन की वजह से है








यह आजकल acupuncture के ज़रिए से इसके तवाज़ुन को ठीक 

करते हैं बिजली और पानी मिल कर किया करते हैं यह बताने की

 ज़रूरत नहीं है यही वजह है रसूल ए पाक ने फ़रमाया वुज़ू तमाम

 ख़ताओं को धोकर दूर कर देता है जिस्म पर पानी पड़ते ही वो 

static electricity पूरे जिस्म में दोड़ जाती है









खाल की बीमारी और चहरे की झुर्रियाँ दूर करने में वुज़ू का बड़ा हाथ है

 खाल के नीचे नज़दीक तरीन छोटे छोटे पठ्ठे काम करना छोड़ देते हैं और


 वक़्त से पहले ही झुर्रियाँ पड़ना शुरू हो जाती हैं इन wrinkles का आगाज़ चहरे से ही होता है अब आप समझ गए होंगे कि नमाज़ियों के चहरे क्यों 

चमकदार होते हैं ? यह सब वुज़ू का कमाल है










वुज़ू का माना ही पाकीज़गी और ख़ूबसूरती है हमारे यहाँ

 करोड़ों रुपये कासमेटिकस पर ख़र्च किया जाता है फिर 

फायदा सिफर, याद रखिये दस गुना ज़्यादा ख़र्च भी वुज़ू

 की बरकात का मुक़ाबला नहीं कर सकता अमेरीकन

 कोंसल की मेम्बर लेडी बेचर ने अजीब व ग़रीब

 इनकिशाफ़ किया है कि मुसलमानों को किसी क़िस्म के कीमयावी लोशन की ज़रूरत नहीं है





इनके इस्लामी वुज़ू से चहरा साफ़ हो जाता है और कई मर्ज़ों से बच जाता 

है मेडिकल के उसूल के मुताबिक़ वुज़ू में चहरा धोने से भोंएं पानी से तर

 हो जाती हैं और अगर भोंओं में नमी रहे तो आंखों की एक ऐसी ख़तरनाक

 बीमारी से इंसान बच जाता है जिसमें आंख के अन्दर ( रतूबते ज़ुजाजिया

 ) कम या ख़तम हो जाती है और मरीज़ आहिस्ता आहिस्ता आंखों की

 रोशनी से महरूम हो जाता है..... 📘इबादत और जदीद साइंस सफ़ह 64)

 Next........


🌹 तालिबे दुआ 🤲👇 हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुल्फ़ुक़ार ख़ान

 नईमी साहब क़िब्ला व हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम रज़ा नईमी साहब क़िब्ला और ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी इंडिया,

Saturday, September 5, 2020

🙏👍*वुज़ू और 😢जदीद 🙏🙏साइंस 6*🤔🤔🙏🙏🙏 👉present by👌 sartaj👌


🙏🙏*वुज़ू और जदीद साइंस 6*👇👇


🗣🗣*कोहनियों तक हाथ धोना*🗣


कोहनियों तक हाथ धोना , इस अमल से आदमी का ताल्लुक़ बराहे रास्त सीने के अन्दर ज़ख़ीरा शुदा रोशनियों से क़ायम हो जाता है और उस नूर का हुज्जूम एक बहाओ की शक्ल इख़्तियार कर लेता है इस तरह हाथ धोने से हाथों के उज़लात पाक मज़बूत और ताक़तवर बन जाते हैं,



🗣कोहनियों पर तीन बड़ी रगें हैं जिनका ताल्लुक़ दिल दिमाग़ और जिगर से है और जिस्म का यह हिस्सा अमूमन ढका रहता है अगर इसको पानी और हवा नहीं लगे तो मुतअद्दिद दिमाग़ी और आसाबी मर्ज़ पैदा हो सकते हैं वुज़ू में कोहनियों समीत हाथ धोने से दिल दिमाग़ और जिगर को तक़वियत पहुँचती है और इस तरह वो इनके मर्ज़ों से महफ़ूज़ रहेंगे,


*वुज़ू में मसह करना*


जब नमाज़ी गरदन का मसह करता है तो हाथों के ज़रिए बरक़ी रो निकल कर शैह रग में ज़ख़ीरा हो जाती है और रीड़ की हड्डी को अपनी गुज़रगाह बनाते हुए जिस्म के पूरे आसाबी निज़ाम में फैल जाती है जिसके ज़रिए आसाबी निज़ाम को तक़वियत मिलती है नीज़ वुज़ू में मसह करने से लू लगना और गरदन तोड़ बुख़ार का ख़ात्मा हो जाता है,


🗣सर के बाल आदमी के अन्दर ऐन्टीने का काम करते हैं आदमी का दिमाग़ इत्तिलिआत का ख़ज़ीना है जब तक किसी अमल के बारे में उसे सिगनल ना मिलें तो हमारा खाना पीना प्यास नींद ख़ुशी के जज़्बात वग़ैरह इन सब के लिए कोई इत्तिला हो दिमाग़ को फराहम होना ज़रूरी होता है ग़ौर फरमाइये के वुज़ू में सर का मसह के वक़्त हमारा ज़ेहन सर के पैदा करने वाले की ज़ात में मज़कूर हो जाता है तो सर का हर बाल हर कसाफतो महरूमी और अल्लाह अज़्ज़ व जल से दूर के ख़िलाफ़ अपने मसदरे इत्तिलिआत की तरफ़ रुजूअ हो जाता है,


इस तरह के पाकीज़ा तख़य्युलात से दिमाग़ व ज़ेहन का मुतअस्सिर होना ज़रूरी है और इंसान को नेकियों की तरफ़ बार बार रहने का मोक़ा मिलता है,


🗣वुज़ू में गरदन का मसह करने से जिस्म को एक ख़ास तवानाई नसीब होती है जिसका ताल्लुक़ रीढ़ की हड्डी के अन्दर हराम मुग़्ज़ और तमाम इंसानी जोड़ों से है जब कोई नमाज़ी गरदन का मसह करता है तो हाथों के ज़रिए बरक़ी रो निकल कर हबलुल वरीद ( शह रग ) में ज़ख़ीरा हो जाती है और रीढ़ की हड्डी से गुज़रते हुए जिस्म के पूरे आसाबी निज़ाम को तवानाई बख़्शती है,


माहिरीन रूहानियत ने इंसानी जिस्म को छ: हिस्सों में तक़सीम किया है,



एक हिस्सा हबलुल वरीद है अल्लाह पाक ने फ़रमाया में तुम्हारी शह रग से भी ज़्यादा क़रीब हूँ यह शह रग सर और गरदन के दरमियान में वाक़ेअ है गरदन का मसह करने से इंसानी जिस्म को एक ख़ास क़िस्म की ताक़त हासिल होती है जिसका ताल्लुक़ रीढ़ के अन्दर हराम मुग़्ज़ और तमाम जिसमानी जोड़ों से है जब नमाज़ी मसह करता है तो हाथों के ज़रिए बरक़ी रो निकल कर रगे जान में ज़ख़ीरा हो जाती है और रीढ़ की हड्डी को अपनी गुज़रगाह बनाते हुए जिस्म के पूरे आसाबी निज़ाम में फैल जाती है जिसके ज़रिए आसाबी निज़ाम को ताक़त मिलती है.......


📘 इबादत और जदीद साइंस सफ़ह 66)


Next........


*🌹 तालिबे दुआ 🤲👇*



हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुल्फ़ुक़ार ख़ान नईमी साहब क़िब्ला व हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम रज़ा नईमी साहब क़िब्ला और ग़ुलामे ताजुश्शरिअह अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी इंडिय|

Friday, September 4, 2020

❤❤❤❤Happy ☺☺️☺ Teacher❤❤❤❤ day☺️☺️ wish ☺☺️ ☺ you❤❤❤❤ {Sartaj saifi}

❤❤❤❤ HAPPY TEACHER DAY ❤❤❤❤


















  • अज्ञान को मिटा कर, ज्ञान का दीपक जलाया है। ...
  • गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं
  •  ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥ ...
  • सही क्या है, गलत क्या है, ये सबक पढ़ाते हैं आप, ...
  • आपने बनाया है मुझे इस योग्य ...
  • गुरु का महत्व कभी होगा ना कम, ...
  • गुमनामी के अंधेरे में था ...
  • जीवन जितना सजता है माँ-बाप के प्यार से,



यह आपकी वजह से है कि मैं आज
एक मजबू
और आत्मविश्वासी व्यक्ति हूं। ...
मैं आपको अपने जीवन में एक शिक्षक के रूप में पाकर बेहद खुशकिस्मत हूं। ...
सीखने को मजेदार बनाने के लिए धन्यवाद। ...
मुझे एक व्यक्ति में मार्गदर्शन, दोस्ती, अनुशासन और प्यार, सब कुछ मिला। ...
आपको शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!

  1️⃣4️⃣ सवाल----- किस सूरत में मुर्दा को क़ब्र से निकालना जाइज़ है, 1️⃣4️⃣ जवाब----- जबके दूसरे की ज़मीन में बग़ैर इजाज़त मुर्दा दफ़न कर दि...